हवाओं के रुख बदलते देखे हैं
मौसमों के रंग बदलते देखे हैं
समय की गति से प्रतिदिन
जीवन के ढंग बदलते देखे हैं|
सदियों से चली आई नीति
संयुक्त परिवार ही ललित, अब
चहुँ ओर गहन विपदा में, संग
अपनों के हल्के पड़ते देखे हैं|
कृषक, सैनिक राष्ट्र धरोहर
होता उनका फिर तिरस्कार क्यों!
कर, पेंशन अभुगतान से, दीनों
के तन-मन कुचलते देखे हैं|
रोटी-कपड़ा-मकान कर धूल
जीने की सब मर्यादा भूल
जाति औ' धर्म के नाम पर
जन भावावेश उबलते देखे हैं
काँटों में फूल होते हैं
फूल में काँटे नहीं,
यह दृश्य उपवन तक सीमित;
होठों से छुरे चलते देखे हैं|
सौभाग्यवश हृदय अपार प्राप्त
नहीं केवल कुछ ही लोगों को
धूपों और बारिशों में अनेक
दिलदार टहलते देखे हैं|
ओजस्वी सनातन विशुद्ध मन
बुढ़ापा शारीरिक है अवस्था
मानस की कोई उम्र नहीं, वृद्ध
जीवंत शरारत करते देखे हैं|
भारतवर्ष सा अनुपम को', कहाँ!
असहाय कहते हो किसे यहाँ!
इस देश की तो मिट्टी में भी
रोते बालक बहलते देखे हैं ||
--
'हितैषी'
(24/11/2012)
=====
ललित = उत्कृष्ट, fine
भावावेश = जोश-खरोश, emotional fury
दिलदार = liberal, charming
ओजस्वी = lively
सनातन = eternal
मानस = मानसिकता, psyche
को' = कौन, who
मौसमों के रंग बदलते देखे हैं
समय की गति से प्रतिदिन
जीवन के ढंग बदलते देखे हैं|
सदियों से चली आई नीति
संयुक्त परिवार ही ललित, अब
चहुँ ओर गहन विपदा में, संग
अपनों के हल्के पड़ते देखे हैं|
कृषक, सैनिक राष्ट्र धरोहर
होता उनका फिर तिरस्कार क्यों!
कर, पेंशन अभुगतान से, दीनों
के तन-मन कुचलते देखे हैं|
रोटी-कपड़ा-मकान कर धूल
जीने की सब मर्यादा भूल
जाति औ' धर्म के नाम पर
जन भावावेश उबलते देखे हैं
काँटों में फूल होते हैं
फूल में काँटे नहीं,
यह दृश्य उपवन तक सीमित;
होठों से छुरे चलते देखे हैं|
सौभाग्यवश हृदय अपार प्राप्त
नहीं केवल कुछ ही लोगों को
धूपों और बारिशों में अनेक
दिलदार टहलते देखे हैं|
ओजस्वी सनातन विशुद्ध मन
बुढ़ापा शारीरिक है अवस्था
मानस की कोई उम्र नहीं, वृद्ध
जीवंत शरारत करते देखे हैं|
भारतवर्ष सा अनुपम को', कहाँ!
असहाय कहते हो किसे यहाँ!
इस देश की तो मिट्टी में भी
रोते बालक बहलते देखे हैं ||
--
'हितैषी'
(24/11/2012)
=====
ललित = उत्कृष्ट, fine
भावावेश = जोश-खरोश, emotional fury
दिलदार = liberal, charming
ओजस्वी = lively
सनातन = eternal
मानस = मानसिकता, psyche
को' = कौन, who
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