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Sunday, May 12, 2013

कहीं रात जानी है...


कहीं रात जानी है, कहीं दिन खोने वाला है
कभी उजाला, कभी अँधेरा सोने वाला है
कब समाप्त होगी आपाधापी जीवन की?
यहाँ किसने जाना है क्या होने वाला है!
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'हितैषी'

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