कहीं रात जानी है, कहीं दिन खोने वाला है
कभी उजाला, कभी अँधेरा सोने वाला है
कब समाप्त होगी आपाधापी जीवन की?
यहाँ किसने जाना है क्या होने वाला है!
--
'हितैषी'
कभी उजाला, कभी अँधेरा सोने वाला है
कब समाप्त होगी आपाधापी जीवन की?
यहाँ किसने जाना है क्या होने वाला है!
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'हितैषी'
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