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Thursday, April 16, 2020

दिल की सुराही से

दिल की सुराही से उमड़ रहे जज़्बात
सब्र किया बहुत अब बिगड़े हैं हालात
हर्फ़ लड़खड़ा रहे शब्द बिखर रहे हैं क्यूँ
लब हैं सहमे से इश्क की कैसी ये बिसात!
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© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
(16/04/2020)

https://www.facebook.com/VPS.hitaishi/posts/2847874911928843

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