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Saturday, June 9, 2012

बंधन

है किस्मत साथ तेरे खड़ा हूँ
जन्मों का नाता है 
पर कोई बंधन नहीं 

प्रेम ही दोनों उरों में 
राधा-से-श्याम-सा रिश्ता है 
और कोई रंजन नहीं 

स्वप्न हो, यथार्थ या, अपेक्षा
तुझ-से हमराह की, चाहिए 
और कोई अभिनन्दन नहीं

मिलन हो या न
इस सापेक्ष जीवन में
तू नदी मैं सिन्धु किन्तु
कभी सही...
मिलेगी मुझ में ही तू कहीं
(22/04/12)
--
विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'

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