चेहरे से गुम, आँखों से लाचार दिखते हैं
हम इश्क में किसी का इंतज़ार लिखते हैं
अब आँगन में नहीं, आँखों में चिराग जलते हैं
दीवाली की शब मेरे दीये शमां का इंतज़ार रखते हैं
गली-गली गुलशन-गुलशन आब-ए-हयात की तलाश है
हम इश्क में किसी का इंतज़ार लिखते हैं
अब आँगन में नहीं, आँखों में चिराग जलते हैं
दीवाली की शब मेरे दीये शमां का इंतज़ार रखते हैं
गली-गली गुलशन-गुलशन आब-ए-हयात की तलाश है
ताकि क़यामत का भी सब्र हो, सिर्फ तेरा इंतज़ार करते हैं
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'हितैषी'
(with little help from my friend Sahil)
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'हितैषी'
(with little help from my friend Sahil)
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