ऐसा आचार बने मेरा जहां में, प्रभु!
ज़रूरत से ज़्यादा हाथ खुले ना
सामने ज़रूरतमंद के बंद रहे ना
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'हितैषी'
December 13, 2012
तुझे देखने के बाद से रातें सितमगर, नींदें आवारा हैं
कब तक ख्वाब और हकीकत में फासला बना रहेगा!
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'हितैषी'
December 16, 2012
ज़रूरत से ज़्यादा हाथ खुले ना
सामने ज़रूरतमंद के बंद रहे ना
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'हितैषी'
December 13, 2012
तुझे देखने के बाद से रातें सितमगर, नींदें आवारा हैं
कब तक ख्वाब और हकीकत में फासला बना रहेगा!
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'हितैषी'
December 16, 2012
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