गीत लिखने नहीं मुझे रोज़ों के लिए
मेरा लफ्ज़-२ हो उसके होंठों के लिए
क़सीदे पढ़ दूँ उसके दीदार की शान में
इनायत कुछ तो हो सरफ़रोशों के लिये
खरोंच आ जायेगी शायद मेरी बलाओं से उसे
पास जाता नहीं इन्हीं संकोचों के लिये
उसके हुस्न को मोम के साँचे में ढालेगा कौन?
ज़िंदगी कम न पड़ जाये बुततराशों के लिये!
--
'हितैषी'
मेरा लफ्ज़-२ हो उसके होंठों के लिए
क़सीदे पढ़ दूँ उसके दीदार की शान में
इनायत कुछ तो हो सरफ़रोशों के लिये
खरोंच आ जायेगी शायद मेरी बलाओं से उसे
पास जाता नहीं इन्हीं संकोचों के लिये
उसके हुस्न को मोम के साँचे में ढालेगा कौन?
ज़िंदगी कम न पड़ जाये बुततराशों के लिये!
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'हितैषी'
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