कतरा कतरा आँसू देकर यादों का उपवन सींचा है
घूमने आता है तेरे नाम का पंछी, ये वो बगीचा है
मैं दरख़्त ज़मीं का प्यारा, और तेरा है आसमान सारा
साथ जुड़ता भी तो कैसे, मेरा ओहदा तुझसे नीचा है
बेज़ुबां इश्क लेता है अंगड़ाई भरपूर तब तब ज़ालिम
खुलता इस दिल में जब भी तेरे ख़्वाबों का दरीचा है
--
© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
*दरख़्त = पेड़
*दरीचा = खिड़की
https://www.facebook.com/VPS.hitaishi/posts/555502764499414
घूमने आता है तेरे नाम का पंछी, ये वो बगीचा है
मैं दरख़्त ज़मीं का प्यारा, और तेरा है आसमान सारा
साथ जुड़ता भी तो कैसे, मेरा ओहदा तुझसे नीचा है
बेज़ुबां इश्क लेता है अंगड़ाई भरपूर तब तब ज़ालिम
खुलता इस दिल में जब भी तेरे ख़्वाबों का दरीचा है
--
© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
*दरख़्त = पेड़
*दरीचा = खिड़की
https://www.facebook.com/VPS.hitaishi/posts/555502764499414
No comments:
Post a Comment