'हितैषी'
:)
Wednesday, June 13, 2012
इंसानी स्वार्थ <--> उर्वी दशा
इंसानी स्वार्थ ने केवल जलाशय नीलम नहीं किये
हमने यहाँ सैलाबों पे क़ैद-ए-बाँध बनते देखे हैं
उपवनों की ऋतु.. कब की बीत चुकी उर्वी पर!
सदियों के समृद्ध वन दिनोंदिन वीरान होते देखे हैं
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विकास प्रताप सिंह
'हितैषी'
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