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Monday, June 18, 2012

हो उर्वशी तुम


तेरे माथे की बिंदी के दीदार में चहके हैं 
'कब आएगी बहार!' इंतज़ार में बहके हैं 
हो उर्वशी तुम! हम ये कहेंगे, वो करेंगे!
सच! बरसों से इसी किरदार में बैठे हैं 
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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
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