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Thursday, June 21, 2012

ज़िन्दगी.. मुझे हंसाये जा

मेरी रूह की गहराईयों से
खुशियों के खजाने को
किश्तों में लुटाये जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

बीते पलों के भंवर से निकल
आज अतीत के आंसू ...
मेरी पलकों से उडाये जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा!

बंद नसीब के अंधेरों में
जो रह गए अधूरे
वो बिखरे ख्वाब सजाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

शोर-ग्रसित, थके हैं जो
उन उत्सुक, अधीर कर्णों को
मधुर संगीत सुनाये जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

ज़िम्मेदारी के बोझ से
बेवक्त मुरझाए अधरों पे
मुस्कान फिर खिलाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

व्याकुल मेरे मन से
तन्हाइयां मिटा के
बेक़रार बेचैन शामियाने को
खुशनसीबी से सजाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

आत्मिक सुख प्राप्ति में
जितने भी प्रश्न-चिह्न हैं, उनके
सम्पूर्ण उत्तर सुझाये जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

घृणा के सांसारिक बाज़ार में 
प्रीत ढूंढती निगाहों को 
किसी आशिक दिल पे टिकाए जा 
ज़िन्दगी.. मुझे हंसाये जा।

जीवन-सफ़र के मध्य में
मित्र मिले या रकीब
तू हर सही इंसान को
सिर-आँखों पे बिठाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

युगों से अटल खड़े हैं जो
विश्वसनीयता के पटल हैं वो
उन अचल अमिट राहों पे
क़दमों को बढाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

किये किसी से कभी जो हैं
मेरी जुबां पे कायम आज भी हैं
एतबार पर्याय बनाए जा,
उन वादों को निभाये जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाये जा।

अन्धविश्वास के बंधन में बंधी
अशिक्षा के ज़ंजीर में जकड़ी
सब रस्मों को ठुकराए जा
ज़िन्दगी.. थोडा हँसाए जा।

खुद से दूर, खुदा से अलग
तू भ्रम से न टकराए जा
यूँ खुदी को न भुलाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

कृत्रिम की राह में भूली जो
मृदु-सरगम वो फिर गाए जा
कोई गीत गुनगुनाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

कटु भाषी सारा संसार 
नहीं साथ पूरा परिवार 
तू प्रेम-विरक्त हर प्राणी को 
लावण्य घूँट पिलाए जा
ज़िन्दगी.. उन्हें हँसाए जा।

उर में बसी
काफिर चिंताओं को हटा
सत्य-पथ पर शपथ-पूर्ण,
निडर चलना सिखाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

बचपन में ही हैं छूटे जो
सपने थे अपने, रूठे जो 
जब हवा में उड़ना चाहा था
बारिश ने खूब नहलाया था
वो मंज़र फिर दिखलाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

सपनों की कहानी में ही
छूटे हैं अरमान जो मेरे
फसानों-तरानों के फेरे;
कुछ नगमे जो बने ही नहीं
कुछ लफ्ज़ जो निकले ही नहीं ,
यथार्थ के प्याले में
वो किस्से फिर बनाए जा
ज़िन्दगी.. मुझे हँसाए जा।

ग़म के अन्धकार में डूबे
कभी अपने भी कुछ साये थे
अस्थिरता के मानक हैं वो
उन यादों को भुलाए जा
ज़िन्दगी.. अब हँसाए जा।

काल के गर्त में अनसुलझे
कुछ अपने, कुछ पराये हैं
कुछ आमंत्रित, कुछ बिन-बुलाए हैं
उन रिश्तों को सुलझाये जा
ज़िन्दगी.. उन्हें हँसाए जा।

आकांक्षाओं के तले दबे हैं जो
अपूर्ण अशांति के मारों को
संयम-पाठ पढाए जा
ज़िन्दगी.. उन्हें हँसाए जा।

अंतर्मन के द्वंद्व में क़ैद
जो जुदा हुए सच्चाई से
उन विस्मित लोगों के दिल में
विश्वास का आशियाँ बनाए जा
ज़िन्दगी.. उन्हें हँसाए जा।

महत्त्व की दौड़ में भागा जो
समय की गति से हारा जो
उस निराश, हताश मनु-मन को
वक़्त का मरहम लगाए जा
ज़िन्दगी, तू हँसाए जा।

लक्ष्य-प्रेरित जो बढे
मृत्यु-समक्ष जो अड़े
उन वीर जीवन-गाथाओं का
अमृत-पान कराये जा
ज़िन्दगी, तू हँसाए जा।

मलिनता की कीचड में पड़े
दुखों के गागर से भरे
इस मनुष्य-जीवन से
तुच्छता हटाए जा।
हर संगीन माहौल को
आज खुशनुमा बनाए जा।
हर पल यथासंभव
खुशबुएँ बिखराए जा
ज़िन्दगी, बस हँसाए जा।
ज़िन्दगी, बस हँसाए जा।।

--
विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'

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