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Thursday, June 21, 2012

दर्द इतने हैं


दर्द इतने हैं कि तुम्हें सुना नहीं पाउँगा 
सारे अपने घाव कभी दिखा नहीं पाउँगा
मैं कोशिश भी करूँ तो भी क्या फायदा!
अधभरे उभर ज़ख्म आयेंगे फिर फिर..
स्वयं को भी पूरी तरह जिला नहीं पाउँगा|
--
विकास प्रताप सिंह 'हितैषी' 

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