'हितैषी'
:)
Tuesday, June 26, 2012
हवा खामोश है
हवा खामोश है इतनी आज न जाने क्यूँ!
कुछ सुनने को किस्से शायद मेरी ज़ुबानी यूँ
मेरे अल्फ़ाज़ों को रोशनी तो मिली, बयार चाहिए अब
इसी बेसब्री में बैठी है शायद हवा रानी हरसूं
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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
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