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Friday, June 29, 2012

वक़्त कमबख्त


लम्हा जो वो चला गया..
पन्ने यादों के छितरा गया
कुछ खोये हुए ख्यालातों की
बूँदें स्वप्निल छिड़का गया...
सब कुछ भुला, फिर याद दिला
वक़्त है कमबख्त, इतरा गया

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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
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