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Tuesday, July 10, 2012

तेरा सुरूर


लम्हे-लम्हे में है समाया बस तेरा ही नूर
दिल के नज़दीक होके भी तू मुझसे कितनी दूर!
पास हैं तो बस तेरी यादें, औ' उनमें तेरा ज़िक्र
हटके भी जो घटता नहीं, कुछ ऐसा तेरा सुरूर 
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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
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