जब रौशनी ही नहीं तो सूरज के जलने का क्या मतलब
अब इन बाँहों में यूँही पिघलने का क्या मतलब..........
मालूम है जब नहीं तय कर पाओगे मंजिल तक का सफ़र
तो फिर दो कदम यूँही साथ में टहलने का क्या मतलब...
--
दिनेश गुप्ता 'दिन' [facebook.com/dineshguptadin]
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दो क़दम का साथ भी गवारा है हमको
अब इन बाँहों में यूँही पिघलने का क्या मतलब..........
मालूम है जब नहीं तय कर पाओगे मंजिल तक का सफ़र
तो फिर दो कदम यूँही साथ में टहलने का क्या मतलब...
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दिनेश गुप्ता 'दिन' [facebook.com/dineshguptadin]
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दो क़दम का साथ भी गवारा है हमको
खुदा ने भी किस दरिया में उतारा है हमको
'मतलब' तो दुनिया की हर बात में है कुछ
तेरा हौले से पुचकारना ही प्यारा है हमको
...
दो जनम का नहीं, दो क़दम का सही साथ, सच्चे
दिल से, हसीं हाथों में हाथ तेरे गवारा है हमको
--
विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
'मतलब' तो दुनिया की हर बात में है कुछ
तेरा हौले से पुचकारना ही प्यारा है हमको
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दो जनम का नहीं, दो क़दम का सही साथ, सच्चे
दिल से, हसीं हाथों में हाथ तेरे गवारा है हमको
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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
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