तुम चली गई थीं वसंत आते ही पिछली बार
अबके सर्दियों को फिर इंतज़ार तुम्हारा है
मिलने आना भाई-दूज पर बहना इस बार ज़रूर
मैंने तुम्हारे हिस्से का सब दुलार संवारा है
दो बरस बीत चुके हैं अंतिम मुलाक़ात हुए
लोचन तरस गये अब आखिरी इंतज़ार तुम्हारा है
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'हितैषी'
अबके सर्दियों को फिर इंतज़ार तुम्हारा है
मिलने आना भाई-दूज पर बहना इस बार ज़रूर
मैंने तुम्हारे हिस्से का सब दुलार संवारा है
दो बरस बीत चुके हैं अंतिम मुलाक़ात हुए
लोचन तरस गये अब आखिरी इंतज़ार तुम्हारा है
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'हितैषी'
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