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Saturday, October 27, 2012

क्यारियों में चमन की यूँ सहस्रों सुमनों की भरमार है 
पर मुझ भ्रमर को बस तुझ एक फूल की दरकार है 
दूजों की शान से हो भ्रमित उड़ जाऊं मैं वो आवारा नहीं 
जीवन बगिया में तुझपे ही मुग्ध हुआ, तुझी से प्यार है 
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'हितैषी'


सबसे प्यारी अँधेरे रोशन करती तेरी मुस्कान 
तेरे संग से बना मैं वाकई और बेहतर इंसान 
पर तुझे अपने आसमां का चाँद कहना 
गलत होगा; भरोसेमंद कहाँ किसी रैना 
फ़लक में दीदार-ए-चाँद-ए-पूनम का अज़ान!
तू बस ध्रुव तारा बन साथ निभाना मेरी जान
--
'हितैषी'



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