उनके शहर का हम दरख्तों* से पता लेते रहे
वो हर मोड़ पर हमें मिल कर भी दगा देते रहे
लोग मोहब्बत की सरहदों पर खता करते हैं
हम ठहरे मुसाफ़िर, रास्तों से वफ़ा करते रहे
--
विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
*दरख़्त = पेड़, tree
=============================
अनजाने शहर में हम दरख्तों* से पता लेते रहे
वो हर मोड़ पर हमें मिल मिल के दगा देते रहे
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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
*दरख़्त = पेड़, tree
shers describe feeling of a wanderer searching for true love
वो हर मोड़ पर हमें मिल कर भी दगा देते रहे
लोग मोहब्बत की सरहदों पर खता करते हैं
हम ठहरे मुसाफ़िर, रास्तों से वफ़ा करते रहे
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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
*दरख़्त = पेड़, tree
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अनजाने शहर में हम दरख्तों* से पता लेते रहे
वो हर मोड़ पर हमें मिल मिल के दगा देते रहे
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विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
*दरख़्त = पेड़, tree
shers describe feeling of a wanderer searching for true love
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