खबर तेरी उड़ती ज़ुल्फों की
रखते हैं हम आज भी
छुप के तुम्हें देखा करते
ख्वाबों के झरोखों से... आज भी
तेरी हरकतें सहेज लेते हैं
फासलों पर भी होकर हम
दिलकशी तेरी, वो हँसी तेरी
दिल में जवां है आज भी
आँखों के आईने में बेबस
रखते हैं हम आज भी
छुप के तुम्हें देखा करते
ख्वाबों के झरोखों से... आज भी
तेरी हरकतें सहेज लेते हैं
फासलों पर भी होकर हम
दिलकशी तेरी, वो हँसी तेरी
दिल में जवां है आज भी
आँखों के आईने में बेबस
तेरे अक्स दिखे कुछ आज भी
यादों की झुरमुट से झांकते
तेरे साये मुड़े हैं आज भी
कारवाँ बीते दिनों कितने
मंज़िलों पर पहुँच गये!
बिछड़ के जो पिछड़े हम,
तेरे शहर में रुके हैं आज भी ||
--
'हितैषी'
यादों की झुरमुट से झांकते
तेरे साये मुड़े हैं आज भी
कारवाँ बीते दिनों कितने
मंज़िलों पर पहुँच गये!
बिछड़ के जो पिछड़े हम,
तेरे शहर में रुके हैं आज भी ||
--
'हितैषी'
(01 नवम्बर 2012)
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