विस्मय सीमा में बाँध मुझे
कितनी दूर चले जाओगे?
कहीं तो ढूंढ ही लूँगा मैं
कभी तो पास तुम आओगे
--
'हितैषी'
उल्फत औ' नफ़रत के बीच
इक साधारण राही हूँ
दिलदारी हथियार मेरा
इंसानियत का सिपाही हूँ
--
'हितैषी'
मेरे शेरों में उसके
प्यार का तराना है
वो कहती मेरी शायरी
का रंग सुहाना है
--
'हितैषी'
January 2
कितनी दूर चले जाओगे?
कहीं तो ढूंढ ही लूँगा मैं
कभी तो पास तुम आओगे
--
'हितैषी'
उल्फत औ' नफ़रत के बीच
इक साधारण राही हूँ
दिलदारी हथियार मेरा
इंसानियत का सिपाही हूँ
--
'हितैषी'
मेरे शेरों में उसके
प्यार का तराना है
वो कहती मेरी शायरी
का रंग सुहाना है
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'हितैषी'
January 2
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