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Saturday, May 11, 2013

इस जहान के हर इंसान से


2013, January 4
एक और पुराने पन्नों से सबके सम्मुख -->
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इस जहान के हर इंसान से मेरी यही गुजारिश है
क़दम थोड़ा संभाल के रखे वो ज़मीन पर;
कि फूल और काँटे हमेशा साथ ही पाया करते हैं
मौके और धोखे यहाँ अक्सर मिल जाया करते हैं

कोशिश यही है - द्वेष न हो; प्यार हो, त्याग हो
चाहे हमसफ़र साथ हो न सदा, एक पक्का यार हो
कि फ़ासले रिश्तों के दरम्यां भी पाया करते हैं
ऐसे कारवाँ दिलों के अक्सर दिख जाया करते हैं

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'हितैषी'

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