2013, January 4
एक और पुराने पन्नों से सबके सम्मुख -->
------------------------------ --------
इस जहान के हर इंसान से मेरी यही गुजारिश है
क़दम थोड़ा संभाल के रखे वो ज़मीन पर;
कि फूल और काँटे हमेशा साथ ही पाया करते हैं
मौके और धोखे यहाँ अक्सर मिल जाया करते हैं
कोशिश यही है - द्वेष न हो; प्यार हो, त्याग हो
चाहे हमसफ़र साथ हो न सदा, एक पक्का यार हो
कि फ़ासले रिश्तों के दरम्यां भी पाया करते हैं
ऐसे कारवाँ दिलों के अक्सर दिख जाया करते हैं
--
'हितैषी'
------------------------------
इस जहान के हर इंसान से मेरी यही गुजारिश है
क़दम थोड़ा संभाल के रखे वो ज़मीन पर;
कि फूल और काँटे हमेशा साथ ही पाया करते हैं
मौके और धोखे यहाँ अक्सर मिल जाया करते हैं
कोशिश यही है - द्वेष न हो; प्यार हो, त्याग हो
चाहे हमसफ़र साथ हो न सदा, एक पक्का यार हो
कि फ़ासले रिश्तों के दरम्यां भी पाया करते हैं
ऐसे कारवाँ दिलों के अक्सर दिख जाया करते हैं
--
'हितैषी'
No comments:
Post a Comment